क्रिकेट खेल दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलो मैसे एक खेल माना जाता हैं। भारत मे क्रिकेट खेल के बहुत सारे दिवाने हैं। क्रिकेट को फॉलो करने वाले लोग हरपल क्रिकेट के गतिविधियोंके बारे मे जानकारी लेने के लिए तैयार रहते हैं। आज हम क्रिकेट खेल मे इस्तमाल होने वाले बॉल के बारे मे जानकारी लेंगे। क्रिकेट खेल के लिए ICC ने कुछ नियम बनाये हुए हैं। उन नियमों का पालन होना बहुत जरुरी होता हैं। ICC ने क्रिकेट बॉल के लिए भी कुछ नियम बनाये हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे तीन प्रकार के गेंदे ( बॉल ) का इस्तमाल किया जाता हैं।
क्रिकेट बॉल के बारे मे जानकारी।
क्रिकेट गेंद की विषेशताए।
वजन आकार
13 के कम साल के बच्चे (133 से 143 ग्राम) 8.06 से 8.69 इंच (205 से 221मिमी)
युवा बच्चे प्लास्टिक की गेंद जैसे "क्वाइक क्रिकेट बॉल" अक्सर इस्तेमाल किया जाता है
पुरुष, और लड़कों 13 साल से उपर (156 से 163 ग्राम) 8.81 से 9 इंच (224 से 22 9 मिमी)
महिलाएं,और लड़कियों13 साल के उपर (140 से 151 ग्राम) 8.25 से 8.88 इंच (210 से 226 मिमी)
क्रिकेट बॉल के बारे मे जानकारी।
क्रिकेट खेलने के लिए बॉल ( गेंद ) का इस्तमाल किया जाता हैं। क्रिकेट की गेंद एक सख्त, ठोस गेंद होती है जिसका इस्तेमाल क्रिकेट खेलने में किया जाता है। चमड़े और काग (कॉर्क) से तैयार क्रिकेट की गेंद, प्रथम श्रेणी स्तर पर पूर्णतया क्रिकेट के नियमों के अधीन होती है। कई दिनों तक चलने वाले टेस्ट क्रिकेट और ज्यादातर घरेलू मैचों में पारंपरिक लाल रंग की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है। कई एकदिवसीय क्रिकेट मैचों में सफेद रंग की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है।2010 से, खिलाड़ियों के सफेद कपड़ों के साथ और दिन / रात टेस्ट मैचों के दौरान बेहतर रात की दृश्यता के साथ गुलाबी रंग की शुरुआत की गई है। ट्रेनिंग के लिए सफेद, लाल और गुलाबी गेंद भी आम हैं, इसके अलावा ट्रेनिंग या आधिकरिक मैचों के लिए विंड गेंदों और टेनिस गेंदों का भी इस्तेमाल किया जाता है। क्रिकेट मैच के दौरान गेंद ऐसी स्थिति में पहुंच जाती है जहां वो इस्तेमाल के लायक नहीं रहती है, इस दौरान गेंद की विशेषताएं बदल जाती हैं और ये मैच को प्रभावित करती हैं। मैच के दौरान क्रिकेट के नियमों के मुताबिक एक हद के बाहर गेंद से छेड़छाड़ करने की मनाही होती है और गेंद के साथ छेड़छाड़ करने की घटनाओं से कई विवाद खड़े हो चुके हैं।
क्रिकेट गेंद की विषेशताए।
वजन आकार
13 के कम साल के बच्चे (133 से 143 ग्राम) 8.06 से 8.69 इंच (205 से 221मिमी)
युवा बच्चे प्लास्टिक की गेंद जैसे "क्वाइक क्रिकेट बॉल" अक्सर इस्तेमाल किया जाता है
पुरुष, और लड़कों 13 साल से उपर (156 से 163 ग्राम) 8.81 से 9 इंच (224 से 22 9 मिमी)
महिलाएं,और लड़कियों13 साल के उपर (140 से 151 ग्राम) 8.25 से 8.88 इंच (210 से 226 मिमी)
क्रिकेट की गेंदों का वजन 155.9 ग्राम और 163 ग्राम के बीच होता है और इन्हें अपनी कठोरता तथा इस्तेमाल से जख्मी होने के खतरे के लिए जाना जाता है। क्रिकेट की गेंद से होने वाले खतरे की वजह से ही सुरक्षात्मक उपकरणों को क्रिकेट के खेल में शामिल किया गया था। क्रिकेट मैच के दौरान अक्सर खिलाड़ियों के जख्मी होने के मामले सामने आते रहते हैं, इनमें से कुछ मामले क्रिकेट गेंद की वजह से होते हैं।क्रिकेट गेंद की प्रकृति उसके निर्माता के साथ थोड़ा भिन्न होती है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे बॉल का इस्तमाल।
व्हाइट कौकाबुरा गेंदों का एक दिवसीय और ट्वेंटी -20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उपयोग किया जाता है, जबकि टेस्ट मैचों के लिए टेस्ट मैचों में खेला जाने वाले टेस्ट मैचों में लाल कुकाबुरस का उपयोग किया जाता है, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को छोड़कर, जो ड्यूक्स और भारत का इस्तेमाल करते हैं , जो एसजी गेंदों का इस्तेमाल करते हैं। सभी एक-दिवसीय मैच कूकाबुरा गेंदों से खेले जाते हैं लेकिन भारत में टेस्ट मैच एसजी क्रिकेट गेंदों से खेले जाते हैं। और जब इंग्लैंड किसी अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच की मेजबानी करता है तो वे "ड्यूक क्रिकेट गेंद" का इस्तेमाल करते हैं, जबकि बाकी सभी टेस्ट मैचों के लिए कूकाबुरा गेंदों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
1996 विश्व कप के दौरान जब एक-दिवसीय मैच खेला गया तो दोनों ही अंपायरों के पास एक-एक गेंद रहती थी। प्रत्येक ओवर के बाद मुख्य अंपायर लेग अंपायर की भूमिका में आ जाते हैं और लेग अंपायर मुख्य अंपायर की भूमिका, वे क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को नियम मुताबिक छह सही गेंदें फेंकने के लिए अपने पास रखी गेंद देते हैं और फिर ओवर खत्म होने के बाद उस गेंद को वापस ले लेते हैं। यही काम दूसरा अंपायर भी करता है।.. और उस समय इसी तरह से एक-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला जाता था, ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सफेद गेंदें जल्दी गन्दी हो जाती हैं।
टी ट्वेंटी क्रिकेट मे सफ़ेद रंग के गेंद का इस्तमाल किया जाता हैं।
एकदिवसीय क्रिकेट मे सफ़ेद रंग के गेंद का इस्तमाल किया जाता हैं।
कसोटी ( टेस्ट ) क्रिकेट मे लाल रंग के गेंद का इस्तमाल किया जाता हैं।
दिवस-रात्र कसोटी ( टेस्ट ) क्रिकेट मे गुलाबी रंग के गेंद का इस्तमाल किया जाता हैं।
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